विधायक सदर के समर्थकों को नहीं रास आ रहा प्रदेश अध्यक्ष का फैसला, चुनाव लड़ने को लेकर विद्रोही तेवर बुलन्द कर चुके हैं युवा नेता
यूथ इण्डिया डेस्क, फर्रुखाबाद। भारतीय जनता पार्टी के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाने वाले युवा नेता प्रांशु दत्त द्विवेदी के संगठन में प्रदेश मंत्री बनने से एक बार फिर स्थानीय भाजपा में भूचाल आ जाने के आसार बन गये हैं।
पूर्व ऊर्जा मंत्री स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के पुत्र एवं वर्तमान में विधायक सदर मेजर सुनील दत्त द्विवेदी के समर्थक प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के इस फैसले को हजम नहीं कर पा रहे हैं।संगठन में अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पाले एक ही परिवार के दो भाई एक बार फिर एक-दूसरे के प्रति अप्रत्यक्ष तौर पर मोर्चा खोलेंगे ऐसा अन्दाजा लगाया जा रहा है।
बताते चलें कि विधायक सदर मेजर सुनीलदत्त द्विवेदी के पिछले कई चुनावों में उनके चाचा के लड़के और वर्तमान में पार्टी के प्रदेश मंत्री प्रांशु दत्त द्विवेदी टिकट को लेकर अपने अग्रज मेजर सुनील दत्त के सामने विद्रोही तेवर अख्तियार कर चुके हैं। इस बात को लेकर लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म रहा कि चुनावों में मेजर सुनीलदत्त की मामूली हार का कारण भी यही पारिवारिक विद्रोह रहा। पिछले चुनाव में मोदी लहर के चलते भारी बहुमत से मेजर सुनील दत्त द्विवेदी चुनाव जीते और अपने दिवंगत पिता पूर्व मंत्री स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी की थाती को बखूबी संभाल लिया। इससे पिछले वाले चुनावों में हुई हार के कारणों के पीछे प्रमुख रूप से पारिवारिक विद्रोह का जिक्र आता रहा है। इस आपसी गुटबंदी को हवा देने में पार्टी के ही दो गुट लगातार सक्रिय रहे हैं। जिनमें ब्राह्मणों और ठाकुरों की पार्टी में राजनीति की विशेष भूमिका रही। स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के समय से ही पार्टी के एक ठाकुर लाबी के नेता स्व. द्विवेदी के सामने चुनौती बनकर आये थे जो स्व. द्विवेदी की हत्या के बाद हावी हो गये और पूर्व मंत्री स्व. प्रभा द्विवेदी ;मेजर सुनील दत्त की मांद्ध के चुनाव में भी विद्रोही ही करते दिखाई दिये। स्व. श्रीमती द्विवेदी के बाद जब मेजर सुनील दत्त को उनके राजनैतिक रसूख के चलते केन्द्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से विधानसभा सदर से मेजर को टिकट मिली तो इन ठाकुर नेता ने प्रांशु दत्त को विधनसभा पहुंचने के सब्जबाग दिखाकर प्रांशु के कंधे थपथपा दिये। फिर क्या था कि राजनीति को लेकर परिवार में ही दीवारें खड़ी हो गईं और अगले चुनावों में प्रांशु दत्त भाजपा की टिकट के लिए मेजर के सामने चुनौती बनकर आते रहे। इसके चलते कई बार मेजर को मामूली अन्तर से तत्कालीन विधायक विजय सिंह से मात खानी पड़ी। यह संयोग ही रहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हवा खुली और मेजर सुनीलदत्त भारी बहुमत से विजयी होकर विधानसभा पहुंचे। तबसे प्रांशु दत्त द्विवेदी व उनके बीच तल्खियां कुछ कम हुईं और एक बड़े भाई के तौर पर मेजर ने प्रांशु को आशीर्वाद देने का काम किया। जिसके चलते खनन आदि के मामलों में युवा नेता का नाम उछाला जाता रहा।
कालान्तर में स्वतंत्र देव सिंह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने श्री सिंह का प्रांशु दत्त द्विवेदी के ऊपर शुरू से ही वरद हस्त रहा है। प्रदेश में ब्राह्मण बनाम अन्य जातियों की राजनीति के चलते स्वतंत्र देव का नाम दूसरे वर्ग का नेतृत्व करने में गिना जाता रहा है। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने पर यह तय था कि प्रांशु को कोई न कोई बड़ा पद मिलेगा और बात भी सही निकली उन्हें पार्टी का प्रदेश मंत्री बनाया गया। इस बात को लेकर स्थानीय संगठन में मेजर समर्थकों व प्रांशु समर्थकों में एक बार फिर पालाबंदी तेज हो जाने के आसार बन गये हैं क्योंकि आने वाले समय में प्रांशु फिर से मेजर के सामने चुनौती बनकर खड़े हो सकते हैं ?