यूथ इण्डिया फर्रुखाबाद। अयोध्या में 5 अगस्त 2020 के भूमि पूजन और शिलान्यास को भारत ही नहीं पूरा विश्व टकटकी लगाये देख रहा था। सभी कार्य निर्विघ्न पूर्ण हुए। प्रधानमंत्री ने रामलला के समक्ष ठीक वैसे ही साष्टांग प्रणाम किया जैसे श्री भरत जी ने चित्रकूट में श्री राम को देखते ही साष्टांग प्रणाम किया था। भूमि पूजन और शिलान्यास के बाद शुभसस्य शीघ्रम की नीति को अपनाते हुए मन्दिर निर्माण के कार्य में तीव्र गति प्रदान करने की आवश्यकता है।सनातन धर्म की मान्यता है कि भगवान भक्त पर अपनी असीमित कृपा सदैव बनाये रखते हैं। राम भक्तों के मन में यह पवित्र भाव था कि हमारे रामलला का भव्य मंदिर बने। आज प्रभु राम ने भक्तों की वही अभिलाषा पूरी करने के लिए अपनी कृपा दृष्टि की है। जैसे जैसे मन्दिर निर्माण का कार्य आगे बढेगा वैसे ही हमारा देश राम राज्य की ओर बढ़ता दिखाई देगा जहाँ विषमता और वैर भाव का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
बैर न कर काहू सन कोई,राम प्रताप विषमता खोई।।
आज यदि हमारा समाज भगवान राम की जीवन शैली को अपना कर जीवन जीना प्रारम्भ करे जैसा राम का आदर्श और मर्यादा थी तो हमें देखने को मिलेगा कि ष्दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज्य नहिं काहू व्यापाष् राम हमारी संस्कृति के परिचायक हैं इसलिए अब इस मंत्र का जाप करने की आवश्यकता है कि ष्सीताराम सीताराम सीताराम कहिए,जाही बिधि रहे राम ताही बिधि रहिएष् क्योंकि कपट और दम्भ तथा विषमता पूर्ण नीति समाज को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी बाधा है।
- ब्रज किशोर मिश्र एडवोकेट
प्रदेश अध्यक्ष
लोकतंत्र सेनानी समिति, उ॰ प्र॰
पाहि नाथ कहि पाहि गोसाई, भूतल परेउ लकुटि की नाईं ...