शूर्पणखा पूर्व जन्म में थी सर्पिणी कथा व्यास अनूप महाराज


यूथ इण्डिया संवाददाता, हरदोई। ग्राम गिंग्योली में चल रही श्रीराम कथा में असलापुर धाम से पधारें कथा व्यास अनूप ठाकुर महाराज ने सीता हरण का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जिस समय शूर्पणखा पंचवटी में राम लक्ष्मण के पास पहुंची 
तुम सम पुरूष न मों सम नारी,
यह संयोग विधि रचा विचारी
रामजी सरकार से कहा कि आपने भी प्रतिज्ञा की है मैं निश्चर से पृथ्वी हीन करूंगा -
निश्चर हीन करहुं महि भुज उठाई प्रण कीन,
सकल मुनिन के आश्रममन जाई जाई सुख दीन 
और यहीं प्रतिज्ञा मैंने भी की थी जब रावण ने मेरे पति को मार दिया था इसलिए सरकार ना तो मेरे समान नारी है और ना आपके समान पुरूष रामजी ने कहा कि मेरे भाई लक्ष्मण ने भी हम दोनों की तरह एक प्रतिज्ञा की पूर्व जन्म लक्ष्मण शेष शूर्पणखा शेषनाग की पत्नी थी एक बार शेषनाग जी तीर्थयात्रा पर भ्रमण के लिए गये उसी समय मौंका पाकर वह नागिन एक मटिया सर्प के साथ बिहार कर रहीं थीं उसी समय राजा प्रताप भानु घूमने के लिए निकलते हैं और शेषनाग के महल से आवाजें आती सुनी 
शंभर नाग दुष्ट अति भारी,
आलिंगन कीन्हेऊ यहीं नारी
प्रताप भानु ने देखा तो उस नाग को मार दिया और नागिन को भी बहुत मारा जब शेषनाग जी आयें तो नागिन शेषनाग की कसम खाकें कहा मुझे राजा प्रताप भानु ने बिना गल्ती के मारा शेषनाग को यकीन नहीं आया फिर भी राजा प्रताप भानु को डंसने के लिए चला जाकर देखा तो एक सर्प सिंहासन से लिपटा हुआ था नौकर लोग मारने के लिए दौड़े तो राजा ने कहा मारना नहीं बाहर ले जाकर छोड़ दो शेषनाग ने कहा इतना धर्मात्मा राजा इसने नारी को ऐसे नहीं मारा होगा तो राजा से पूच्छा राजा ने सारी कहानी बतायी शेषनाग ने प्रतिज्ञा की अभी जाकर इसके नाक कान काट लूंगा इधर नागिन शेषनाग के डर से फन पटक पटक के मर जाती है -
शेषनाग आयों जब धामा,
पटकि पटकि फन मरि गयी बामा
नागिन प्राण छोड़ देती हैं वहीं अधूरी प्रतिज्ञा लक्ष्मण जी शूर्पणखा के नाक कान काटकर इस जन्म में पूर्ण करतें हैं कथा को सुनने के लिए प्रताप दीक्षित सोनू वाजपेई सुजीत सिंह पार्थ सिंह समेत बड़ी संख्या में भक्त विराजमान रहें।